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लेखनी प्रतियोगिता -08-May-2024

#दिनांक:-8/5/2024
#शीर्षक:-प्रेम दिवानी।

कन्हैया रात सपने में आया 
मंत्रमुग्ध सी, मैं बावरी जैसी तकती रही,
सुन्दर सलोना कान्हा की सुरतियां,
कल ही तो जन्मे लल्ला, 
आज से ही चमत्कारी किरितियां,
हे माधव ,
मेरे कोख से जन्मे होते, 
सारी माताएं ,
इसी सोच मे बितातीं दिन रतिया ।
आँख मोरनी सी, नाक सुगवा जईसन ,
मथवा चौड़ा भाग्य चमकीला जईसन ,
अधरों पर मुस्कान अति शोभित,
केश, केशव क घुंघराला जईसन ।
मनमोहिनी सुरतियां पर से,
 अंखियाँ फिसलत न मोर सखी,
चकाचौंध हो गईल बा सारी रतिया सखी। 
नजर क टीका मैया यशोदा लगावत रहें, 
फिर भी नजर लग जाए न मोर सखी !
सुधबुध खोई,
 खो गई मैं तो तुम में कन्हैया! 
देखूँ सबको, सब लेत हवैं तेरी बलैया ,
बलि बलि जात हैं सब नर-नारी,
पार करो जीवन की नैया मारी,
बनकर खेवईया।🙏🏻🙏🏻
नटखट कृष्ण,
 अभी से करें गोपियों संग छेडखानी ,
कभी छुवत इधर , कभी छुवत उधर,
अंखियन से प्रेम करत!
 बोले न बानी,
प्रेम की रासलीला,
 मुझसे भी रच लो,
हे माधव ,
प्रतिभा जन्म जन्मांतर से है ,
तेरी प्रेम दिवानी।

रचना मौलिक, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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3 Comments

Mohammed urooj khan

09-May-2024 01:45 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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kashish

09-May-2024 06:57 AM

V nice

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Varsha_Upadhyay

08-May-2024 08:59 PM

Nice

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